दोस्त बनना एक बुरी बात नहीं है परन्तु अच्छी दोस्ती अगर प्यार में बदल जाए और प्यार एक अच्छी जिंदगी में बदल जाए तो उसका मजा ही कुछ और होता है। आजकल बहुत से लोगों की दोस्ती एक दो पल की होती है। आज यहां तो कल वहां।
सच्ची दोस्ती और प्यार कहीं-कहीं मिलते हैं। ऐसी दोस्ती और प्यार के भगवान जितने मर्जी इम्तिहान ले ले पर प्यार कभी बदलता नहीं। जो सच्चा प्यार होता है वह कभी बदलता नहीं। ऐसा ही प्यार नवीन और भावना का था।
भले ही उनकी मुलाकात तीन महीने पहले हुई थी लेकिन प्यार सदियों-सा पुराना था।
नवीन और भावना तीन महीने पहले कॉलेज में मिले थे। कॉलेज के पहले दिन दोनों की रैगिंग हुई दोनों का बहुत जुलूस निकाला गया था। भावना काफी शर्मिंदा थी। भावना को शर्म के मारे रोना आ गया था।
नवीन ने भावना को दिलासा देते हुए बोला।
अरे ! क्या कर रही हो ? आज हमारे साथ हुआ तो कल हम भी तो किसी के साथ करेंगे।
अच्छा तुम भी करोगे।
तुम भी उन लोगों जैसे ही हो।
ये सब करना ठीक नहीं है।
नवीन को भावना की ये बात बहुत अच्छी लगी और उसने भावना से माफी मांगी। अब उसने भावना से दोस्ती कर ली। दोनों कॉलेज में साथ रहने लगे थे दोनों की अब अच्छी जमने लगी थी नवीन तो उसे चाहने भी लगा था पर वह एक साल तक बोल नहीं पाया। उसे लगता था कि भावना ऐसी लड़की नहीं है एक दिन तो नवीन ने उसे बोल ही दिया।
भावना तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
अच्छा !
ऐसा क्या है ? मुझमें
वो बात नहीं है। पता नहीं ऐसा क्यों लगता है। कि तुम खास हो मेरे लिए।
और धीरे धीरे दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगते हैं।
बात अब शादी तक पहुंच जाती है नवीन बड़े घर से था। इसलिए भावना को लगता था कि वह उसके लायक नहीं है नवीन के घरवाले उसको पसंद नहीं करेंगे। जबकि नवीन को भावना में ही सब कुछ दिखता था नवीन ने भावना के बारे में अपने मम्मी पापा को बताया कि मैं भावना से शादी करना चाहता हूं। एक बार तो ये बात सुनकर दोनों चुप रहे उसके बाद बोले....... देख लो जिंदगी तुम्हें गुजारनी है। जैसा तुम्हें ठीक लगे कर लो।
भावना ने भी अपनी मम्मी से नवीन से शादी करने की बात बोली परन्तु मम्मी ने कोई जवाब नही दिया और पापा से पुछने के लिए बोला..... तेरे पापा कभी नहीं मानेंगे।
तो मम्मी आप पूछ लो पापा से।
जैसे कैसे करके नवीन भावना के पापा को शादी के लिए मना लेता है और उनकी पड़ाई भी खत्म हो जाती है शादी कि बात अब पक्की हो गई और दिन मूहर्त भी निकल गया था नवीन और भावना के घर वाले अब शादी की तैयारी में जुट जाते हैं शादी का सारा काम नवीन ही देखना पड़ता था इसलिए नवीन की बात भावना से नहीं हो पाई
एक दिन नवीन ने शाम को समय निकाल कर भावना को फोन किया।
'हां क्या कर रही हो' ? फोन भी नहीं किया भूल गई हो क्या मुझे ?
आगे से भावना के पापा बोले।
बेटा ऐसी बात नहीं है। उसकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए बात नहीं कर पाई।
इतनी बात सुनकर नवीन को ऐसा लगा मानो उसके उपर आसमान टूट पड़ा हो लेकिन जब नवीन भावना के घर गया तो उसके सारे सपने ही टूट गए थे उसको अपनी जिंदगी अब बे मतलब सी लग रही थी। क्योंकि भावना बोल नहीं पा रही थी और डॉक्टरों की समझ में कुछ नहीं आ रहा था बहुत सारे टैस्ट करवा लिए थे। परन्तु रिपोर्ट में कुछ नहीं आ रहा था।
डॉक्टरों का कहना था कि भावना को पैरालाइसिस हो गया है इसलिए वह बोल नहीं पा रही एक महीना बीत गया था परन्तु भावना कि हालत में कोई सुधार नहीं आ रहा था। भावना के घर वालों ने अब शादी के लिए मना कर दिया था क्योंकि भावना बोल नहीं पा रही थी। वो नहीं चाहते थे कि भावना उनके लिए बोझ बने। नवीन इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था उसने बोल दिया था शादी तो भावना से ही करूंगा। भले ही मुझे कितना भी इंतजार करना पड़े
दो साल बीत जाते हैं परन्तु भावना ठीक होने का नाम नहीं ले रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे भगवान नवीन के प्यार की परीक्षा ले रहा हो। पर नवीन भी हार मानने वालो में से नहीं था। उस लगता था कि भावना ठीक हो जाएगी।
एक रात भावना को सपना आया और सपने में जोर से चिल्लाई। "नवीन मुझे छोड़ कर मत जाओ. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती" भावना को सपने में ऐसा लग रहा था कि नवीन खुद खुशी कर रहा है। पर वो महज एक सपना था जिसने भावना और नवीन की जिंदगी को हकीकत में बदल दिया था भावना के बगल में सोई मां बहुत खुश होती है जब उसे भावना के बोलने की आवाज सुनाई देती है नवीन को जब इस बात का पता चलता है तो नवीन भी खुशी में पागल सा हो जाता है। अब भावना और नवीन की शादी हो जाती है दोनों बहुत खुश थे।
Very nice story
ReplyDeleteSuper👌👌
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteOssam bro
ReplyDelete